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दाग / अर्चना कुमारी

3 bytes added, 04:50, 12 दिसम्बर 2017
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चांद चाँद पर उभरते दाग पर
सुने होंगे बहुत से वैज्ञानिक विश्लेषण और शोध भी
बहुत सी उपमाएं उपमाएँ साहित्यकारों की
लेकिन कहा एक लड़की ने
वो गढ्ढे बने हैं मेरे आंसूओं आँसुओं सेवहां वहाँ जमा हुआ है काला नमकीन पानी
ये जो अमावस है धरती के हिस्से की
घना जंगल है ख़ामोशी का
उन चुप्पा लड़कियों की
जो रात भर बतियाती हैं चांद चाँद सेये जो चांदनी चाँदनी बरसती है धरा के आंगनआँगन
जल जाते हैं उगे हुए जंगल
जब गूंजता गूँजता है समवेत क्रंदन चाँद के कानों में
एक ठहरी हुई नदी का
निकल आता है अकबका कर बाहर चांदचाँद
डूब जाती है धरती फट जाता है रंग
शोकमग्न चांद चाँद कानीली चांदनी चाँदनी का उजला होना
नहीं समझेंगे लोग
नहीं समझेंगे डूब जाने का मतलब
कि जल जाने का मतलब
सिर्फ जिस्म के दाग दाग़ नहीं होते।
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