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दाग / अर्चना कुमारी

No change in size, 04:29, 12 दिसम्बर 2017
उन चुप्पा लड़कियों की
जो रात भर बतियाती हैं चाँद से
ये जो चाँदनी बरसती है धरा के आंगनआँगन
जल जाते हैं उगे हुए जंगल
जब गूंजता है समवेत क्रंदन चाँद के कानों में
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