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कर्ममेव जीवनम् / सत्यनारायण पांडेय
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10:46, 14 दिसम्बर 2017
अतः त्याज्यं बलपूर्वकम्
सत्कर्मो रक्षति दुख्खात्
सत्करो
सत्कर्मो
भवति वंशरक्षकः
कर्मं बिना जीवनं कथम्
अतः
कर्मनि करनीयं अहरनिशम्।
कर्माणि करनीयमहर्निशम्।
</poem>
Anupama Pathak
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