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गोबर पवित्र / कुमार मुकुल
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,
05:24, 27 जून 2008
हटो, थोड़ा श्रम भी करो माते
कि द्वार-द्वार खाकर भैंस हो
,
रही हो
बहुत कुछ सड़क पर भी है
अनिल जनविजय
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