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महाकाव्य / अर्चना कुमारी
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डायरी के पन्ने
सांसों
साँसों
की
गिनतियां
गिनतियाँ
कोई नही लिखता
अतीत की घुमावदार
पगडंडियां
पगडंडियाँ
भविष्य के किसी शहर नहीं जाती
सब शाश्वत चिरंतन है
नश्वरता में समाहित है
नवीन रचनाओं का उत्स
...
महाकाव्य फिर लिखे जाएंगे।
</poem>
Anupama Pathak
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