1,167 bytes added,
04:00, 23 दिसम्बर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दीपक शर्मा 'दीप'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
क्या ग़ज़ब तौर की मोहब्बत है
'ख़ूँ-सने कौर की मोहब्बत है'
एक घंटे में इश्क़ो-वस्लो-हिज्र?
जी! नये दौर की मोहब्बत है
क्यों मुझे कस रही है गलबहियां
तू किसी और की मोहब्बत है!
कल जो शर्मा के साथ? हां! वो ही
अब वो राठौर की मोहब्बत है!
जिसका धंधा है दिलख़राशी का
वो, किसी ठौर की मोहब्बत है?
जिस्म उरियां है और दिल उधड़ा?
आह! बिजनौर की मोहब्बत है
दिल के कश्मीर की ये हालत, उफ़
किसके लाहौर की मोहब्बत है
</poem>