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14:02, 26 दिसम्बर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष
|अनुवादक=
|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
}}
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<poem>
सृजन किया जिसने नभ को
धरती को साधिकार
जो लपेटता अनवरत
दिवस को रजनी पर
रजनी के दिन पर
सूर्य-चंद्र चल रहे निरंतर
जिसने तय कर रखा हुआ है
किसको कब तक-
कितना चलना!
वह सबका प्रभु
क्षमाशील है।
(कुरआन, सूरा-39, आयत-5 का भावान्तरण)
</poem>