गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
झूला / कन्हैयालाल मत्त
3 bytes removed
,
19:46, 19 जनवरी 2018
ख़ून रवानी करता।
नई ताज़गी मिल जाती है,
श्रम भी
नहीइं
नहीं
अखरता।
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits