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16:20, 28 जून 2008 रात कहती बात प्रियतम,
तुम भी हमारी बात सुन लो,
थक गये हो, जानती हूँ,
प्रेम के अधिकार गुन लो !
है रात की बेला सुहानी,
इस धरा पर हमारी,
नीँद से बोझिल हैँ नैना,
नमन मैँ प्रभु मनुज के!
रात कहती है कहानी,
थीस्वर्ग की शीतल कली,
छोड जिसको आ गये थे-
उस पुरानी - सखी की !
रात कहती बात प्रियतम !
तुम भी सुनो, मैँ भी सुनुँ !
हाथ का तकिया लगाये,
पास मैँ लेटी रहूँ !