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05:37, 2 फ़रवरी 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=कुमार मुकुल
|संग्रह=
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avita}}
<poem>
हम त हईं सरकार
ए बबुआ
हम त हईं सरकार
उछलब कूदब, मूड़ी झांटब
रूपिया छीनब, टाफी बांटब
केहू से ना कवनो दरकार
ए बबुआ
हम त हईं सरकार
राशन छीनब, भाखन देहब
सबके माथे, चढ के कूदब
मन आई, ता फोडब कपार
ए बबुआ
हम त हईं सरकार
</poem>