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उम्र तमाम / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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18:27, 10 फ़रवरी 2018
|संग्रह=
<poem>
1
डरी–डरी आँखों में
पाना-खोना,यही है जीवन
आँसू से होता है तर्पण ।
</poem>
वीरबाला
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