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हर सम्त एक भीड़—से फैले हुए हैं लोग / साग़र पालमपुरी
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हर सम्त एक भीड़—से
बिखरे
फैले
हुए हैं लोग
लगता है जैसे टूट के
बिखरे
फैले
हुए हैं लोग
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प्रबंधक
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