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रेहन / कुमार वीरेन्द्र
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11:30, 2 मार्च 2018
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गौरैया तो उड़ते
चली जाती, पर उसका पंख झरकर
गिर रहा, और नज़र पड़ गई, आँचर में लोक लेती, फिर निहारते
अनिल जनविजय
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