Changes

{{KKCatKavita}}
<poem>
होलरी-होलरी, हे होलरीsssहोलरीऽऽऽ
हे होलरी, होलरी-होलरी
साँझ-बिहान, चढ़ल जवनिया की आपन-आपन टोली, उछलत-कूदत बानर हमजोली
बाँधे रेरी, रेरी में बोली आपन, आपन टोनबाज़ी, भीत-भीत उखाड़ रहे, नोंच रहे, सूखे
अधसूखे गोइंठेगोइँठे, भर रहे बोरा-बोरी, झोरा-झोरी भर गए तो ढेर चिपरी के
लिए, खोल दिए आपन-आपन कुर्ते-गंजी, चूकें-रुकें ना, कवनो
मौक़ा, मौक़ा के एको झोंका, हे होलरी
होलरी-होलरी, हे होलरी
हेsssहेऽऽऽ, होलरीsssहोलरीऽऽऽ, होलरी-होलरीsssहोलरीऽऽऽ
बाँध रहे गमछी में झपट-छउँक
एने लपक-ओने लपक, तेलहन की झूँसी, अरहर की झाँखी
तीसी की तिलाठी, पाँजा-पाँजा उठा रहे कि मची रेरी, 'धर तs तऽ रे नतियन को, मूँड़ी अइठवनन को धर तsतऽ'
घर-घर की बुढ़िया निकलीं लिए लबदा, निकलीं बहरी मार-भगाने को, पर छौने-छोरे बड़े फुर्तीले, फुर्र-फुर्र
उड़ गए, इस-उस खोरी, बुढ़िया भगाएँ, कितना भगाएँ, ऊ भी कहँवा तक, जब आपन पोतवा
भी करे, 'हे होलरी, होलरी-होलरी, होलरीsssहोलरीऽऽऽ', गावे दुआरे-दुआरे, दुआरी-दुआरी'हे समतs समतऽ गोसाईं दसगो गोइंठा दsगोइँठा दऽ, तोहार बाल-बाचा जिए दसगोगोइंठा दsगोइँठा दऽ', और ऊ देतीं भी तो दु-चार ही, पर
इतने से कइसे जरेगी समत
खेत-बधार छोरे-छोर, दुलकी चाल से भगा रहीं बुढ़िया, देख-देख
खिड़की से लगा रहीं ठहाके, नइकी-पुुुरनकी पतोहुएँ, दूर भगा लौट रहीं बुढ़िया, तो उनके बुढ़ऊ खीस में
घोल रहे और खीस, पछुआ खोंस मचाने लगे शोर, 'हे होलरीsssहोलरीऽऽऽ, होलरी-होलरी, होलरीsssहोलरीऽऽऽ', पिनपिनागईं बुढ़िया कि, 'हई देखो रे, हई बुढ़वन को, जोम में लौंडा लौण्डा बन रहे', दौड़ा दिया उन्हें भी लिए
लबदा कि, 'आओ, अउर कउँचाओगे, आओ', अइसे में उनके मरद भी, लकड़ी
की चइली मिली, चाहे टूटल-फाटल चौखट-खटिया, उठा दे आए
छोकड़ों को गाते कि, 'हे समतs समतऽ गोसाईं दुगो बुद्धिदsदऽ, हमार बुढ़िअन के दुगो बुद्धि दsदऽ'
फिर भीरी आ, भरने लगे अँकवार
सुबेरे से, जो किरासन तेल, पी रही थी होलरी, उसे लिए, और होलिका से लहका
मचाते शोर, होड़ में होड़, भाँजते चले गाँव-जवार में चहुँचोर, चले 'होलरी-होलरी'
की रेरी बाँधे तो कोई दुआर-बथान पर कि छप्परी-आँगन में न फेंकेेंफेंकें
कोई मड़ई-झोंपड़ी बाहर जोड़े हाथ कि लहक गईं तो
बेटी-बहिन उघार, कोई खेत-खरिहान
हे होलरी, होलरी
होलरीsssहोलरीऽऽऽ, हे होलरी, होलरीss होलरीऽऽ !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits