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मौन और शब्द / हरिवंशराय बच्चन
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09:18, 22 मार्च 2018
विवश कुछ बोला था;
सुना, मेरा वह बोलना
दुनियाँ
दुनिया
में काव्य कहलाया था।
आज शब्द में मौन को धँसाता हूँ,
अब न पीड़ा है न आनंद है
विस्मरण के सिन्धु में
डूबता
-
सा जाता हूँ,
देखूँ,
तह तक
Lalit Kumar
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