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<poem>अयि गिरिनंदिनि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुते
गिरिवरविंध्यशिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुंबिनि भूरिकुटुंबिनि भूरिकृते