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05:32, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
म्हारै गांव री
गुवाड़ रौ रूंख
जठै
टाबर खेलता
लुकमीचणी
जठै
छोरियां लेंवती
हींडा
जठै
पाखी बणांवता
आलणौ
जठै
बटाऊ बैठ'र
सुस्तांवता
अबै
रूंख री जिग्यां
खाली ठूंठ है
जिण माथै बैठ'र
गांव रा छोरा
करै नशौ-पतौ
अर नूवां-नूवां
गाणां गावै
रूंख
थारी ओळ्यूं आवै।
</poem>
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