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गांव : अेक / दुष्यन्त जोशी

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<poem>
गांव मांय
जद सड़क बणी
सगळां हरख मनायौ
घर-घर जगाया
घी रा दिवळा
आखौ गांव सजायौ

अबै
दूध बिकण लागग्यौ
छा' बिकण लागगी
सब्जी बिकण लागगी
थेपड़ी बिकण लागगी
छाणां बिकण लागग्या
तूड़ी बिकण लागगी
बटोड़ा बिकण लागग्या

गांव मांय
नूंवीं-नूंवीं खुलगी दुकानां
अठै
स्सौ' कीं बिकण लागग्यौ

गांव सैहर सूं जुड़ग्यौ
गांव
गांव सूं मुड़ग्यौ।
</poem>
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