1,257 bytes added,
05:39, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
गांव में
वाटर वक्र्स है बण्योड़ौ
पण
पाणी आवै कदी-कदी
गांव में
बिजळीघर भी बणग्यौ
पण
बिजळी आवै कदी-कदी
गांव में
इस्कूल खुलग्यौ मोटो
पण
गुरुजी आवै कदी-कदी
गांव में
फोन रा घणां है टावर
पण
बातां हुवै कदी-कदी
गांव में
घर-घर है मजदूर
पण
काम आवै कदी-कदी
गांव में
ठेकौ खुल्लै रोज
लागै
लुगायां नै बोझ
गांव में
खुलगी कई दुकानां
जठै
सट्टौ लागै रोज
गांव नै
माड़ी पडग़ी बाण
ईंरौ
कद हुयसी कल्याण।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader