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05:39, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
आओ
आपां नूंवौं सूरज ल्यावां
अर अंधारौ मिटावां
सूत्यां नै तो
सगळाई जगावै
पण आपां
जाग्योड़ां नै जगावां।
</poem>
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