702 bytes added,
06:35, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पैली
आग चूल्हां में
दपट'र
राखता लोग।
जरूत माथै
अेक-दूजै सूं
मांग'र काम चलांवता
पछै जगांवता
चूल्हो, हारो अर तन्दूर
अबै
आग दपटण री
दरकार कोनी
सगळां रै
भीतर भर्यौड़ी है आग।
</poem>