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06:38, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पोथ्यां
कुण पढै आजकालै
पोथ्यां पढै
जिकां नै
ठाला समझै लोग
बडेरा कैवै
कै पोथ्यां
ज्ञान रौ खजानौ है
पण
घणाईं लोगां नै
ज्ञान नीं
पीसा चाइजै
बांरौ सोचणौ है
कै पीसा आयसी
जणां
ज्ञान बांटणआळा
आज्यासी आपीआप।
</poem>
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