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06:50, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
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<poem>
पैली
निजरां सूं
पिछाणीजती
मिनख रै
मन री ओळखाण
अबै
सगळा जतन बेकार
अठै
जणौ-कणौ
कलाकार।
</poem>
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