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07:39, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
अचांणचक
भारा समेत
सेरियै आवतां
देख
बांगां देवण ढूकै
ठांण!
नीरणी करतोड़ौ
नेह रै नाजणै
बंध जावूं
म्हैं।
</poem>
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