Changes

थार: 2 / मीठेश निर्मोही

606 bytes added, 08:47, 1 अप्रैल 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]] |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
धरती-आभै
जितरी लांठी
थारी
कद काठी।

बावळ सरीसौ
थारौ
सांस।

समदर नै उनमांन
पसराव।

नीं थाकै
नीं हारै
थूं।

वाह रे
थळवट रा उमराव!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits