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08:48, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
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<poem>
रात-दिन
पाकता ई पाकता जावै
आदमी रा जखम
अर
सूखता ई सूखता जावै
खेत।
</poem>
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