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09:49, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सिगड़ी अर चूल्हा
अणसिळग्या ई
रहया
पण धपळका उठता रहया
दादी रै काळजै
जद
रैय-रैय‘र
धूंवौ
गोटीज्यौ हौ
म्हारै
स्हैर।
</poem>
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