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09:51, 1 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
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<poem>
सूती वेलै, झिझकै
आ दिल्ली
आधी रै अमलां।
भाख फाटतां ई
करियौ नीं करियो
सिरावण
भाजै है
सड़कां।
रोटी
अर
लंगोटी रै
लारै
मिनख
जमारै !
</poem>
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