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15:04, 3 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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<poem>
मुसाणां में
दाग रै टैम
परम्परा मुजब
हेलौ मारै
बापूजी
तगड़ा हुज्याइयौ
आग आवै
इण उम्मीदां में
कै स्यात
आग रै डर स्यूं
बोल सकै
जे भीतर हुयसी
जीव।
</poem>
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