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असर / ॠतुप्रिया

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सत बोल्यां गत है
बोलता जावै लोग
 
पण
थोड़सीक ताळ पछै
बीस्याई हुज्यावै
जद मुसाणां स्यूं
बारै आवै।
 
</poem>
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