Changes

कठै गयो पाणी! / मोनिका गौड़

1,093 bytes added, 12:33, 8 अप्रैल 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[मोनिका गौड़]] |अनुवादक= |संग्रह=अं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मोनिका गौड़]]
|अनुवादक=
|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सात समंदर गोपी चंदर
बोल म्हारी मछली
कितरो पाणी?
जोव म्हारी मछली
कठै गयो पाणी?
मछली कर दी गाणी-माणी
ना कीं आणी, ना कीं जाणी
उतरग्यो पाणी
रैयगी कहाणी
कांई बताऊं
कितरो पाणी
कठै गयो पाणी!

सोसण सारू
सगळा त्यार
गरीब री जबान रो पाणी
किरसै री आस रो पाणी
सूकग्यो मनड़ो
नीं रैयो आंख में ई पाणी
कांई बताऊं
कठै गयो पाणी!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits