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13:01, 8 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मोनिका गौड़]]
|अनुवादक=
|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
}}
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<poem>
घणो चोखो चालै साबजी रो बिजनस
नूवो नकोर आईडियो हाथ लाग्यो है—
बै कोपीराईट भी आपरै नांव सूं करवा लियो
इण विस्वास साथै
कै कमासी दिन दूणो रात चौगुणो
साबजी तो तकड़ा कारीगर है
झट बगत री नाड़ झाल लेवै
भांप लेवै मानखै री औकात
समझ लेवै बात
अर करै व्यवहार उण मुजब
साबजी समझग्या कै राज रै खिलाफ
या तो चुसकणो ईज नीं
या माडाणी हाका पाण
बणवाओ, मनवाओ आपरी बात
चौसर पर मूंडै पाटी वाळै प्यादै नैं
पिटतो देख साबजी समझ गया
जीत रो सेवरो बंधै भौंपूआं माथै
साबजी आजकल छाप रैया है
दनादन नोट
बेचै मूंडै पाटी अर करै भौंपूआं रो बिजनस
लागत कम मुनाफो ज्यादा।
</poem>
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