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13:02, 8 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मोनिका गौड़]]
|अनुवादक=
|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
}}
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<poem>
करै थूक बिलोवणो जाड़ा भींच-भींच’र
कसता मूठी हवा में गुंजावै समता रा नारा
जाणै अबकाळै समाजवाद नैं गुद्दी झाल’र ले आसी
मेजां थपकावता
मोटा-मोटा सबदां में दलीलां चबावता
हाकै रा भतूळिया उडावता
छेकड़लै गरीब तांई पूगा देवै न्याय
उणरो हक लाल भभूका मूंडा सूं
क्रांति रो रंग पण लजावै
हर हाथ नैं काम
मूंडै नैं रोटी पूगावणिया
गुडक़ जावै आखरी पैग साथै
आपरी ही उल्टी में भर्योड़ा क्रांतिवीर।
</poem>
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