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कोई बात बने / साहिल परमार
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23:23, 28 अप्रैल 2018
<poem>
मेरी दीवानगी की चर्चा है ठीक मगर
थोड़े
बेहोश
मदहोश
तो हो जाओ, कोई बात बने
सहमते और ठिठुरते गुज़र गईं पीढ़ियाँ
अनिल जनविजय
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