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03:48, 29 अप्रैल 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कल्पना सिंह-चिटनिस
|अनुवादक=
|संग्रह=चाँद का पैवन्द / कल्पना सिंह-चिटनिस
}}
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<poem>
महासागर के बर्फीले आवर्त में उतराते
इन ग्लेशियरों की परवशता
और दिशाहीनता
उनकी नियति
या षड़यंत्र सूरज का?
</poem>