गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जेनी के लिए / कार्ल मार्क्स
No change in size
,
07:01, 5 मई 2018
जबकि कलपते हैं बस तुम्हारे लिए मेरे गीत
जबकि तुम, बस तुम्हीं, उन्हें उड़ान दे पाती हो
::
जनकि
जबकि
हर अक्षर से फूटता हो तुम्हारा नाम
::जबकि स्वर-स्वर को देती हो माधुर्य तुम्हीं
::जबकि साँस-साँस निछावर हो अपनी देवी पर !
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits