गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उद्गीत / कविता भट्ट
232 bytes added
,
03:00, 11 मई 2018
तरु जूझे आँधी से
अब भी शेष
14
पाहन हूँ मैं
तुम हीरा कहते
प्रेम तुम्हारा
15
तुम हो शिल्पी
प्रतिमा बना डाली
मैं पत्थर थी
<poem>
-०-
वीरबाला
4,855
edits