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मेघकाल में / महेन्द्र भटनागर
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06:39, 14 जुलाई 2008
:::दामिनी की चमक क्षण में,
:जब प्रकृति का रूप ऐसा हो
गये
गए
ये दूर-न्यारे !
:::शीत में, पर, मौन गलता,
:हट गये ये उस जगह से, हो
गये
गए
बिलकुल किनारे !
अनिल जनविजय
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