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'''शब्दार्थ''':
'''मैतियों ='''मायके वाले, समारोह, रूटाने'''रुटाने'''=विवाह आदि तथा उसके बाद भी मायके आने पर बेटी को विदा के समय दी जाने वाली गुड़ व गेहूं के आटे से बनी मिठाई,'''आर्से=''' भी ऐसे ही बनती है, मात्र गेहूं गेहूँ के स्थान पर चावल को भिगो ,ओखल में कूटकर बनने वाली स्वादिष्ट उत्तराखंड की विशेष मिठाई , '''थड़िया, चौफुला ,झुमैझुमैलो'''लो- उत्तराखंडी लोकनृत्य,'''मांगुल- ''' उत्तराखंडी वैवाहिक लोकगीत[ मंगल गीत ]दांदों '''डाँदों''' - खलिहानों के चारों ओर बनी पत्थरों की थोड़ी ऊँची किनारियाँ,
निन्यारों- झिंगुर, स्वालों- कचौड़ी, मकरैणी- मकर संक्रान्ति,
फुलकंडियों- बच्चों द्वारा उपयोग में लायी काने वाली फूलों की डलिया,
'''मसकबाजे'''- विवाह आदि में बजाया जाने वाला बैगपाइपर बाज़ा, दमों- नगाड़े जैसा उत्तराखंडी वाद्ययंत्र,'''थौल-''' मेला, मंडाण - उत्तराखंडी लोकनृत्य ,. '''फुलेरों'''- चैत्र मास में फूल एकत्र कर प्रतिदिन एक मास तक प्रातःकाल देहरियों पर फूल डालने वाले छोटे बच्चे,लय्या= सरसों
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