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सीख / मोहम्मद सद्दीक

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|संग्रह=जूझती जूण / मोहम्मद सद्दीक
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<poem>
आओ, आपां
बडा आदमी बणां
मैं थारा कपड़ा उतारूं
थे म्हारा कपड़ा उतारो
मैं, थारा कपड़ा उतार‘र थांनै
ऊंचलै आसण बिठाऊं
थे म्हारा कपड़ा उतार‘र
मन्नै, नीचै उतार दयो
डरो मत
आपणो देस
नागां रो देस है
एक लंगोटी महात्मा
नागा मिनख देवता।
</poem>
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