Changes

अतएव सोचते हैं मातृ-पितृ घाव नहीं दिए मुझे, ऐसा ही होता है
गए हैं वे ईश्वर का, ईश के पुरोधा का, राजा का गुणगान करने
तीनों ही करेंगे कुछबनाते हैं स्वर्ग एक, लगेगी लगती हमारी कातर भूति तब स्वर्गवत् लगनेजहाँ पुण्यवत् लगने।
'''अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : शिव किशोर तिवारी'''
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,423
edits