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चीन ओ चीन ! / त्सोलतिम न्गीमा शकबपा / अनिल जनविजय
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09:35, 8 जून 2018
तुम हो अन्याय के ग्राहक
हम हैं न्याय के वाहक
तुम
मानवाधिकारों को
तुम
जाते भूल
पर हम बन जाते उनकी चूल
तुम जोड़ते हो ठीक-ग़लत
अनिल जनविजय
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