{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोईन बेस्सिसो|अनुवादक=अनिल जनविजय|संग्रह=फ़िलीस्तीनी कविताएँ / मोईन बेस्सिसो
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
मेरी नाक के सामने
फेंका उन्होंने
एक काग़ज़ और एक क़लम
मेरे हाथों में ठूँस दी
घर की चाबी
काग़ज़-- — वे मुझ पर दोष लगाना चाहते थे कहा-- — प्रतिरोध क़लम-- — वे मुझे कलंकित करना चाहते थे कहा-- — प्रतिरोध
घर की चाबी
कहा-- — तुम्हारे इस छोटे-से घर के हर पत्थर के नाम-- — प्रतिरोध
दीवार पर एक छेद
दीवार के पार एक संदेश
एक विकलांग हाथ
सूचना मिली — प्रतिरोध
सूचना मिली-- प्रतिरोध बारिश की हर बूंदबूँद
टपक रही थी जो
यंत्रणा-कक्ष की छत पर
चीत्कार कर रही थी — प्रतिरोध
चीत्कार कर रही थी-- प्रतिरोध'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''</poem>