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अंक में भरो / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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15:05, 3 जुलाई 2018
ओ मन- परिणीता
अंक में भरो ।
11
कर्मयोगिनी
अच्छे ही कर्म करे
दु:ख ही भरे ।
12
क्या कर्म-फल?
शुभ सोचे व करे
नरक भरे?
13
तापसी जगी
नींद हुई बैरन
कोसों है दूर्।
-०-
</poem>
वीरबाला
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