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याद-परिंदे / भावना कुँअर
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22:31, 10 जुलाई 2018
<poem>
कहाँ से आए
ये उड़ते-उड़ाते
याद- परिंदे
हम कैसे बताएँ ।
भीगी पलकें
उदासियों का चोला
पहने बैठीं
चुपके से आकर
देखो तो ज़रा
हवाओं के ये झोंके
आँखों से कैसे
यूँ मोती चुराकर
आसमान सजाएँ।
</poem>
वीरबाला
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