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बाढ़ का पानी / भावना कुँअर
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22:47, 10 जुलाई 2018
अपनी मनमानी।
मची है कैसी
ये अज़ब
तबाही।
तबाही
क्या होगी भरपाई?
</poem>
वीरबाला
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