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कवि भगत व्यापारी, भुखे भाव के होते / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
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18:29, 11 जुलाई 2018
<poem>
'''कवि भगत व्यापारी, भुखे भाव के होते,
'''
दिल मुड़ते नहीं टुटज्यां, पक्के ताव के होते ।। टेक ।।
'''
विद्या चतुर पुरुष पढ़ता है, प्रेमी मिले प्रेम बढ़ता है,
Sandeeap Sharma
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