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|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
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|भाषा=हिन्दी
|विषय= कविताएँ
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|पृष्ठ=95
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1
मेरे विषय-विकार जो, बने हृदय के शूल <br>
हे प्रभु मुझ पर कृपा कर, करो उन्हें निर्मूल। <br>
 
4
नानक और कबीर-सा, सन्त न जन्मा कोय<br>
दोयम, त्रेयम, चतुर्थम, सब हो गए अदोय। <br>
 
11