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07:36, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=सावण फागण / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
आभै बैठी
काळी-कळायण री
लालर ओढियोड़ी
बूढकी बिरखा,
हवा रै हाथां
छाणैं
बादळी-चाळणी अर
नान्हड़िया छणै
छण-छण, छण-छण, छण-छण
</poem>