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07:47, 24 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=सावण फागण / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
गरमी
कित्ती आकरी है क‘
अकास रै
गाभां माथै
जमग्या है
पसीने रा स्याळ
</poem>
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